Monday, April 26, 2010

प्रार्थना


प्रार्थना


है प्रार्थना गुरुदेव से यह स्वर्गसम संसार हो,
अति उच्चत्म जीवन बने, परमार्थमय व्यवहार हो ।
ना हम रहें अपने लिए, हमको सभी से गर्ज है,
गुरुदेव यह आशिष दें, जो सोचने का फ़र्ज है ॥

हम हो पुजारी तत्व के, गुरुदेव के आदेश के,
सच प्रेम के नित नेम के, सध्दर्म के सत्कर्म के ।
हो चींड झुठी राह की, अन्याय की अभिमान की,
सेवा करन दास की, परवाह नहीं हो जान की ॥

छोटे न हों हम बुध्दि से, हो विश्वमय से ईशमय,
हो राममय और कृष्णमय, जगदेवमय जगदीशमय ।
हर इंद्रियों पर ताबा कर, हम वीर हों अतिधीर हों,
उज्वल रहे सर से सदा, निजधर्मरत खंबीर हो ॥

अतिशुध्द हो आचार से, तन-मन हमारा सर्वदा,
अध्यात्म की शक्ति हमें, पल भी नहीं कर दे जुदा ।
इस अमर आत्मा का हमें, हर श्वासभर में गम रहे,
अगर मौत भी आ गयी, सुख-दु:ख हमसे सम रहे ॥

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